छत्तीसगढ़ में आड़ू की खेती का सफल उत्पादन

डा. पी. सी. चौरसिया सहायक प्राध्यापक (उद्यानिकी) इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, महासमुंद (छ.ग.) आड़ू या सतालू की भारत के पर्वतीय तथा उपपर्वतीय भागों में इसकी सफल खेती होती है। ताजे फल खाए जाते हैं तथा फल से फलपाक (जैम) , जेली और चटनी बनती है। फल में चीनी की मात्रा पर्याप्त होती है। जहाँ जलवायु न अधिक ठंडी , न अधिक गरम हो , 15 डिग्री फा. से 100 डिग्री फा. तक के ताप वाले पर्यावरण में , इसकी खेती सफल हो सकती है। इसके लिए सबसे उत्तम मिट्टी बलुई दोमट है , पर यह गहरी तथा उत्तम जलोत्सरण वाली होनी चाहिए। भारत के पर्वतीय तथा उपपर्वतीय भागों में इसकी सफल खेती होती है। छत्तीसगढ़ के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अन्तर्गत आलू एवं समशितोष्ण फल अनुसंधान केन्द्र मैनपाट में आड़ू की विभिन्न प्रजातियों का परीक्षण गया है जिनका परिणाम काफी उत्साहजनक रहा। आड़ू की प्रजातियां जैसे शान-ए-पंजाब , फ्लोरिडा प्रिंस, प्रताप,नेक्ट्रिन, अर्ली ग्रैंड का परिणाम बहुत अच्छा है। पौध रोपण के दो से तीन वर्ष बाद ही इन प्रजातियो...